दो दिन बाद शनिवार भी आ गया हम दोनों जाने को तैयार हो गए।
भाभी और मैंने शनिवार को चार बजे घर से निकलने का प्रोग्राम रखा, 4-5 घंटे में हम लखनऊ पहुँच जाते, बस से हम लोग जा रहे थे।
भाभी साड़ी ब्लाउज में थीं, मैंने टी शर्ट और जीन्स पहनी हुई थी।
शनिवार को हम बस से चले, दिसम्बर का महीना था, रात ठण्डी थी, बस 5 बजे चली 9 बजे तक हम लखनऊ पहुँच जाते।
बस में पीछे वाली दो लोगों की सीट पर हम जाकर बैठ गए।
बैठते ही भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और धीरे से सहलाने लगीं।
मैंने हाथ की कोहनी धीरे से ब्लाउज के ऊपर से उनकी चूचियों पर लगा दी और उनकी चूची कोहनी से धीरे धीरे दबाने लगा।
थोड़ी देर बाद उत्तेजना में भरकर मैंने अपना एक हाथ उनके ब्लाउज के ऊपर रखकर पूरा स्तन दबा दिया।
भाभी हाथ हटाकर फुसफुसाते हुए बोलीं- सात बजे जब पूरा अँधेरा हो जाए तब मज़े ले लेना, थोड़ा सब्र कर लो।
मैं संभल गया, भाभी और मैं बातें करने लगे।
पौने सात बजे करीब बस एक ढाबे पर रुकी, भाभी बाथरूम चली गईं, मैंने दो चाय का आर्डर कर दिया।
भाभी मुस्कराते हुए चाय पीने के बाद मुझसे बोलीं- खुले पैसे मेरे पर्स से दे दो।
मैंने जब पर्स में से पैसे निकाले तो देखा उसमें उनकी ब्रा और पैंटी रखी हुई थी।
मेरी आँखें उनके ब्लाउज की तरफ चली गई।
भाभी मुस्करा उठीं और उन्होंने अपना पल्ला ब्लाउज पर इस तरह से कर लिया की चूचियों से चिपका ब्लाउज पूरा दिखने लगा।
इतने पास से देखने पर साफ़ पता चल रहा था ब्लाउज के अन्दर ब्रा नहीं है। बिना ब्रा के उभार पतले ब्लाउज से साफ़ दिख रहे थे और काली निप्पल की चोंच भी चमक रही थी।
मुझे घूरता देख भाभी होंट काटते हुए धीरे से बोलीं- अभी उतारी है तुम्हारे लिए… हॉर्न कैसे लग रहे हैं?
मैंने कहा- बजाने का मन कर रहा है।
हँसते हुए भाभी बोलीं- बस चले, तब बजा लेना। मैं भी तुम्हारा हैंडल पकड़ कर गियर बदलती रहूँगी।
तभी बस का हॉर्न बजा, हम लोग बस में आ गए।
बस जब ढाबे से से चली तब तक सात बज़ चुके थे और अँधेरा हो गया था।
बस में पीछे की बड़ी सीट खाली थी और सवारी आगे बैठी हुईं थीं हम सबसे पीछे थे।
भाभी ने मुझे दिखाते हुए अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल लिए।
अपनी नंगी चूचियाँ दिखाते हुए बोलीं- चाय तो पी ली, अब दूध और पी लेना।
चूचियाँ ढकते हुए बोलीं- उह उह… ठण्ड लग रही है पहले बैग में से लोई (गरम चादर) उतार लो ना!
मैंने लोई बैग से निकाल लीं।
बस में मुझे ऐसा लगा कि अधिकतर लोग हमें पति पत्नी समझ रहे थे।
इस बीच बस वाले ने अन्दर की लाइट बंद कर दी थी, पूरी बस में अँधेरा हो गया था।
मेरा लौड़ा तन कर हथोड़ा हो रहा था।
लाइट बंद होते ही भाभी ने लोई ओढ़ ली और मुझे भी उढ़ा दी।
हम दोनों अब एक लोई में थे।
भाभी ने मेरा हाथ ब्लाउज के अन्दर घुसवा लिया और मेरे हाथ अपनी नंगी चूचियों पर रख दिए।
उनके दोनों नग्न स्तन मेरे हाथों में थे, मैं उन्हें कस कस कर दबाने लगा, स्तनों की निप्पल पकड़ कर मैंने नुकीली कर दी थीं और बारी बारी से दोनों गुल्लों का जूस निकाल रहा था।
भाभी गर्म हो गईं थीं। उन्होंने मेरी जींस की चैन खोल कर मेरा लौड़ा अपने हाथ में ले लिया और सहलाने लगीं।
मुझसे रहा नहीं गया, मैंने चिपक कर उनके गाल चूम लिए।
उन्होंने मुझे झटके से हटा दिया, वो थोड़ा घबरा गईं थीं, मेरे लौड़े से हाथ हटाते हुए धीरे से बोलीं- होश में रहो!
मैंने भी अपना हाथ खींच लिया।
हमारे पीछे कोई नहीं बैठा था, बस में घुप्प अँधेरा था, थोड़ी देर हम शांत रहे।
इसके बाद भाभी ने हाथ दुबारा खींच लिया और अपने पेट पर रख लिया, मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मेरा लौड़ा उफान खा रहा था।
मैं उनका नंगा पेट और नाभि सहलाने लगा बार बार उनकी नाभि में उंगली घुसा देता था।
भाभी भी गर्म हो रही थीं, उन्होंने दुबारा जींस में से मेरा लौड़ा बाहर निकाल लिया था और अँधेरे में उसके टोपे पर उँगलियाँ फिराने लगीं।
मैं अपना हाथ उनकी साड़ी की गाँठ के अन्दर घुसाने लगा।
भाभी ने मेरा हाथ हटा कर अपनी साड़ी की गाँठ थोड़ी ढीली कर दी और मेरा हाथ नाभि पर रख दिया।
नाभि के रास्ते से आराम से हाथ उनकी साड़ी के अन्दर घुस गया।
चिकना पेडू सहलाते हुए हाथ बार चूत प्रदेश में फिसल रहा था।
चूत पूरी चिकनी थी, मैं चूत में उंगली डालने की कोशिश कर रहा था पर सफल नहीं हो पा रहा था, बार बार चूत का मुँह सहला कर रह जा रहा था।
भाभी मेरा हाथ हटाते हुए बोलीं- दो मिनट रुको।
उन्होंने झुककर अपनी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठा लिया और लोई से मुझे और खुद को ठीक से ढक लिया।
मेरा हाथ अपनी गर्म जाँघों पर रख दिया।
नंगी जांघे सहलाते ही मेरे लौड़े ने थोड़ा सा वीर्य छोड़ दिया।
उन्होंने दोनों जांघें एक दूसरे से चिपका रखी थीं, मुझे इस खेल में बड़ा आनन्द आ रहा था।
मैंने दबाब बनाते हुए अपना हाथ दोनों जाँघों के बीच घुसा दिया।
भाभी ने थोड़ी सी अपनी टांगें चौड़ी कर ली, अब मेरा हाथ सरकते हुए उनकी चूत के द्वार पर पहुँच गया, उन्होंने एक हाथ से जोरों से मेरा लौड़ा सहलाते हुए दूसरे हाथ से मेरी उंगली चूत के दाने पर रख दी और कान में बोलीं- पहले थोड़ा इसे सहलाओ, बड़ा मन कर रहा है।
मैं उनकी चूत के दाने को सहलाने लगा, बीच बीच में उंगली उनकी चूत के अन्दर भी घुसा देता था, पूरी चूत रसीली हो रही थी।
मस्ती चरम सीमा पर थी, इसी बीच कोई स्टॉप था, लाइट खुल गई हम लोग हट गए।
इस स्टॉप पर काफी लोग उतर गए थे।
इसके बाद हमारे आगे वाली दो तरफ की सीटों पर बैठे लोग आगे सीटों पर चले गए।
अब हमारे चारों तरफ खाली था, लखनऊ आने में अभी एक घंटा था, लाइट दुबारा बंद हो गई।
हम लोग बगल में खाली पड़ी तीन लोगों की सीट पर आ गए।
भाभी ने मुझसे कहा- मेरी गोद में लेट लो, कोई नहीं देख रहा है।
मैं सीट पर पैर फेलाते हुए भाभी की गोद में लेट गया, लोई से उन्होंने मुझे ढक लिया और मेरा मुँह नीचे सरकते अपने स्तनों में लगा दिया।
मैं अब उनके दूध चूसने लगा और वो मेरा लौड़ा सहलाने लगीं।
एक चूची चूसते हुए दूसरी दबाते हुए सेक्स के आनन्द में मज़ा आ गया।
कुछ देर बाद उन्होंने मुझे उठा दिया और बोलीं थोड़ी देर मुझे भी अपनी गोद में लेटा लो न।
अब हमने जगह बदल ली, भाभी मेरी गोद में लेट गईं और उन्होंने मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया।
मैं अपनी सिसकारियों पर रोक लगाए हुए था, यह चरम सीमा थी।
मैंने 3-4 बार उनकी चूचियाँ कस कर मसल दीं थी, इस बीच मेरा वीर्य उनके मुँह में छुट गया, भाभी ने पूरा वीर्य मुँह में लिया उसके 5 मिनट बाद हम दोनों अलग हो गए।
हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक करे।
दस मिनट बाद हमारा हमारा स्टॉप आ गया था।
स्टॉप पर उतर कर भाभी साड़ी का पल्लू हटाकर मुझसे बोलीं- देखो, ब्लाउज के सारे बटन टूट गए, सिर्फ एक बचा है।
मैंने देखा कि उनके ब्लाउज का सिर्फ नीचे का एक बटन बचा था, जिसे उन्होंने लगा लिया, स्तन ब्लाउज में कहने मात्र को बंद हो गए थे, उनकी नंगी गोलाइयाँ और काली निप्पल ब्लाउज से बाहर झांक रहा थी और स्तनों की सुन्दरता में चार चाँद लगा रही थी।
भाभी ने ब्लाउज को पल्लू से ढकते हुए कहा- अब ऑटो में चूचियों पर रहम कर देना।
भाभी और मैंने ऑटो कर लिया, ऑटो में भाभी ने मेरे मुँह पर पप्पियों की बारिश कर दी और बोलीं- रास्ते में बड़ा मज़ा आया।
पूरे रास्ते हम पति पत्नी की तरह बैठे और एक दूसरे को बाहों में भरकर स्टॉप आने तक लब-चुम्बन करते रहे।
दस बजे हम सोनम के घर थे, वो घर में अकेली थी।
सोनम 22-23 साल की एक कमसिन बदन की मालकिन थी, थोड़ी सांवली थी लेकिन उसके चेहरे से जवानी का रस टपक रहा था।
भाभी को देखकर वो उनसे चिपक गई और बोली- तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लग रहा है।
अन्दर घुसते ही भाभी ने सोनम की तरफ देखते हुए कहा- विकास, यह मेरी पक्की सहेली है, हम साथ साथ पढ़े हैं। इसे मैं सोनम कम कुतिया ज्यादा बोलती हूँ, यह भी मुझे प्यार में रंडी बुलाती है।
सोनम से भाभी बोलीं- यह मेरा देवर विकास है, इससे शर्माने की कोई जरूरत नहीं, पूरे रास्ते हम मज़े करते आ रहे हैं।
सोनम भाभी का पल्लू हटा कर ब्लाउज का एक मात्र बटन खोल कर उनकी चूचियों पर हाथ फिराते हुए बोली- हाँ हाँ… दिख रहा है, पूरे रास्ते तू अपने गुब्बारों में देवर जी से हवा भरवाते हुए आ रही है, तभी तो एक बटन बचा है।
भाभी हँसते हुए अपनी साड़ी उतारने लगीं और सोनम से बोलीं- तू तो एक कुतिया की तरह ही सोच सकती है।
भाभी ने ब्लाउज भी उतार दिया और सोनम से बोलीं- जा जल्दी से अपनी एक मैक्सी दे दे।
यह सब देखकर मेरा लौड़ा फिर खुलने लगा था।
सोनम कमरे से बाहर चली गई। पेटीकोट में भाभी मेरे सामने टॉपलेस खड़ी थीं, अंगड़ाई लेते हुए उन्होंने अपने स्तन हिलाए और बोली- आज रात पूरी अपनी है जमकर मज़े करेंगे।
मुझको एक गोली का पत्ता देकर बोलीं- सुबह शाम एक एक खा लेना, चोदने में मज़ा आ जाएगा, पूरे दिन 5-6 बार चूत मारने के बाद भी कमजोरी नहीं लगेगी।
यह कहकर भाभी बाहर चली गईं..
थोड़ी देर बाद भाभी और सोनम आ गए, दोनों ने सेक्सी लो कट मैक्सी पहन रखी थी।
खाने के बाद हम लोग साथ बैठकर डबल बेड की रजाई में मूंगफली खाने लगे।
भाभी और सोनम सामने बैठी थीं हम लोग बातें करने लगे भाभी मेरे पैर अपने पैर से रजाई के नीचे से सहलाने लगीं।
उधर सोनम जब भी झुकती उसकी लो कट ढीली मैक्सी से उसकी पूरी चूचियाँ दिखने लगतीं थीं।
मैंने भाभी की मैक्सी के अन्दर से पैर उनकी जाँघों में घुसा दिए थे और पैरों से उनकी जांघें गरम कर रहा था।
बारह बजे के पास भाभी सोनम से बोली- अब सोते हैं, तू अपने कमरे में सो जा, मैं तो इसके साथ ही सो जाऊँगी।
सोनम भी खुल गई थी, मुस्कराते हुए बोली- हाँ हाँ रंडी, सो जा, तुझे अपनी भट्टी की आग जो बुझानी है, तेरा ऑपरेशन चूत जो चल रहा है। लेकिन इस बेचारे के घोड़े की जान मत ले लेना।
भाभी हँसते हुए बोली- तू तो एक कुतिया की तरह ही सोच सकती है… यह तो मेरा देवर है देवर तो बच्चे के सामान होता है।
थोड़ा दूध पिला कर सुला दूँगी। वैसे भी मेरी भट्टी पर तो तेरे भाई का राज है, अब तू तंग मत कर और जाकर सो और हमें भी सोने दे।
सोनम वहाँ से चली गई।
भाभी ने सोनम के जाने के बाद पर्स से निकाल कर एक गोली खा ली और बोलीं- गर्भ निरोधक है, मुझे तो नंगे लौड़ा से ही चुदने में मज़ा आता है।
उन्होंने अपनी मैक्सी उतार दी और मुझे भी पूरा नंगा कर दिया।
मेरे लौड़े को सहलाते हुए बोलीं- आज किसी का डर नहीं, आज तो डलवाने में मज़ा आ जाएगा, लाइट खुली रहने देना, रोशनी में चुदने का तो एक अलग ही मज़ा है, पूरी अपनी औरत समझ कर चोदना यहाँ किसी का डर नहीं, यह सोनम तो अपनी यार है कुतिया को मैंने पहले ही बता रखा है कि अपने देवर से चुदने आ रही हूँ, न कि एग्जाम देने… तभी हरामण, ऑपरेशन चूत चूत कर रही थी।
उन्होंने झुककर मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया और चुसना शुरू कर दिया।
रास्ते भर मैं बुरी तरह से उतेजित था, मैंने भाभी के मोटे मोटे नितंब दबाने, सहलाने और पीटने शुरू कर दिए, बीच बीच मैं उनकी गाण्ड में भी उंगली घुस देता था।
थोड़ी देर बाद भाभी लेट गईं और टांगें चौड़ी करके बोलीं- आह आह… अब पेल दो, रहा नहीं जा रहा है।
उनकी चूत मेरी आँखों के सामने थी, मैं उनके ऊपर चढ़ गया, अपने हाथ से चूत पर मेरा लौड़ा लगाते हुए बोली- आज बस में तुमने बहूत तड़पाया है। अब इस कमीनी फ़ुद्दी को फाड़ दो।
मैंने भाभी की चूत में लौड़ा घुसेड़ दिया और उसे अन्दर पेलने लगा।
उनकी दोनों चूचियाँ मेरी मुट्ठी में थीं, एक दूसरे से दूधों को मिलाते हुए मैंने चूत की चुदाई शुरू कर दी थी।
भाभी ने मेरी पीठ पर अपनी टांगें मोड़ लीं थी और लौड़ा को अपनी गाण्ड हिलाते हुए पूरा अन्दर तक घुसवा लिया, मेरे टट्टे भी उनकी चूत पर तबला बजाने लगे थे, लौड़ा भाभी की चूत फाड़ रहा था।
हम दोनों के बदन रगड़ खा रहे थे, भाभी आह उह उह की आवाजें बिंदास भर रही थी और अपके चूतड़ हिला कर लौड़ा अन्दर बाहर करते हुए निडर होकर चुदने का मज़ा ले रही थीं।
बार बार उतेजना से वो चिल्ला रही थीं- चोदो विकास चोदो… इस कमीनी चूत को चोदो… बड़ा मज़ा आ रहा है… आह पेलो न… उह आह उह उई उई उई… और अन्दर… और अन्दर… वाह क्या पेला है, वाह वाह…
भाभी की आहों ने मुझे पूरा उत्तेजित कर दिया था, मैं पूरी ताकत से धक्के मार रहा था, दोनों तरफ से पूरा सहयोग हो रहा था।
थोड़ी देर में मेरा गर्म लावा उनके गर्भ प्रदेश में घुस गया, उन्होंने भी ढेर सारा चूत रस छोड़ दिया था।
हम दोनों कस कर दुबारा एक दूसरे से चिपक गए। यह सेक्स का क्लाइमेक्स था। उसके बाद एक दूसरे से चिपक कर हम सो गए।
सुबह एक बार भाभी ने फिर मुझे अपनी बाहों में भर लिया और हम एक बार फिर एक दूसरे से चूमा चाटी करने लगे।
तभी बाहर से दरवाज़ा खटका सोनम की आवाज़ आई- रण्डी, अब उठ जा, एग्जाम दे आ, मैं चाय बनाने जा रही हूँ।
भाभी नंगी उठीं और दरवाज़ा की सांकल खोलकर फिर रजाई में लेट गई और बोलीं- चाय पीकर कपड़े पहनेंगे।
मेरा तना हुआ लौड़ा सहलाते हुए बोलीं- आह, चुदने का बड़ा मन कर रहा है लेकिन सात बज़ रहे हैं अब तो उठाना पड़ेगा। तुम दिन में यहीं रहना और एक बार इस सोनम कुतिया पर ट्राई मार लेना, साली रात मैं कह रही थी देवर तो बड़ा चिकना है, पति से तो इसका झगड़ा एक साल से चल रहा है, चूत भी कुतिया की उबल रही होगी।
भाभी के निप्पल उमेठते हुए मैंने कहा- लेकिन सोनम तो देखने में आपसे कम सुंदर और काली है, उसकी चूचियाँ भी छोटी छोटी हैं, आप जितना मज़ा कहाँ आएगा?
लौड़े का टोपा रगड़ते हुए भाभी बोलीं- चूत का मज़ा गोरे काले, दुबले पतले, से नहीं चोदने से आता है और चोदू लोग मिलती हुई चूत को छोड़ते नहीं है। मौका मिले तो चूकना नहीं, चूत चोद कर ही छोड़ना दबा दबु के छोड़ दिया तो तुम्हें चूतिया मानेगी। थोड़े खिलाड़ी तो अब तुम हो ही गए हो।
मैं रजाई के अन्दर घुस कर उनकी एक चूची मुँह में लेकर चूस रहा था और दूसरी दबा रहा था, भाभी बोलती जा रही थीं।
तभी सोनम चाय लेकर आ रही थी, भाभी ने रजाई नीचे खिसका दी और बोलीं- इसी तरह चूसते रहो, कुतिया की बुर में खुजली हो रही होगी रात का सोच सोच के ये सब देखकर और गर्म होगी।
तभी सोनम कमरे में आ गई, भाभी सोनम से बोलीं- रात को थके थे, जल्दी नींद आ गई, बेचारे को दुद्दू भी नहीं पिला पाई, इतनी दूर साथ आया है, इतना तो बनता ही है।
उसके बाद सोनम के कान में भाभी ने कुछ फुसफुसाया।
सोनम हँसते हुए बोली- रंडी अब उठ जा, एग्जाम दे आ।
इसके बाद हम अलग हो गए, सबने साथ साथ चाय पी, उसके बाद भाभी उठीं और बाथरूम में फ्रेश होने चली गईं।
सोनम मेरी तरफ देखते हुए बोली- रात को तो मज़ा आ गया होगा… चलो तुम भी तैयार हो जाओ, हम दोनों भाभी को छोड़ आते हैं।
मैं कपड़े नहीं पहने था, सिर्फ चादर ओढ़े था, बोला- दीदी थोड़ी देर को बाहर जाओ ना!
सोनम बोली- दीदी की माँ की चूत, मुझे सोनम बुलाओ, कुतिया और रंडी भी चलेगा लेकिन दीदी दोबारा बोला तो गाण्ड में बांस घुसा कर यहाँ से भगा दूँगी। अच्छा यह बताओ कल भाभी से क्या मज़े कर लिए? हॉर्न तो मेरे सामने बजा ही रहे थे।
मैंने झेंपते हुए झूठ बोला- हम तो थके हुए थे, लेटते ही नींद आ गई थी, वो तो सुबह सुबह भाभी ने चिपका लिया था।
सोनम बोली- ओह तुम तो मुझे अच्छे शरीफ लड़के लगते हो। यह सविता कुतिया बहुत झूठ बोलती है, कान में कह रही थी कि रात भर विकास ने सोने नहीं दिया, ऊपर पहाड़ मसल डाले और नीचे सुरंग खोद डाली, दोनों जगह खूब बजाया। पहले इस रंडी को छोड़ कर आते हैं फिर लौट कर बातें करते हैं।
उसने साइड में पड़ा मेरा नेकर उछाल के फेंका और बोली- ये लो, पहनो मैं अभी आती हूँ।
मैं नेकर पहन कर फ्रेश होने लगा।
तभी भाभी नहा कर मैक्सी में बाहर आ गईं और सोनम तौलिया लेकर अन्दर बाथरूम में चली गई।
भाभी ने इशारे से मुझसे कहा- बाथरूम में झांककर देखो।
जब मैंने अन्दर झाँका तो दंग रह गया सोनम टॉयलेट की सीट पर टांगें चौड़ी करके नंगी बैठी हुई थी और अपनी चूत पर मोमबत्ती फिरा रही थी।
उसके कमसिन बदन पर झूलते हुए चूचों ने मेरे लौड़ा में आग लगा दी।
भाभी ने पीछे से चिपककर मेरे नेकर में हाथ डालकर लौड़ा पकड़ लिया और सुबह के कुमुनाते लौड़ा को सहलाते हुए कान में बोलीं- इसकी चूत खुजला रही है, आज मौका अच्छा है बजा देना डरना नहीं।
थोड़ी देर भाभी पीछे से मुझे पकड़ कर मेरा लौड़ा सहलाती रहीं और मैं सोनम का नग्न स्नान देखता रहा।
स्नान देखने के बाद मैं मुड़कर भाभी के होंटों को चूसने लगा इस बीच सोनम बाहर आ गई।
भाभी मेरे होंट चूस रही थीं, सोनम तौलिया लपेट कर बाहर आई और अंगड़ाई लेते हुए बोली- विकास जी, नहा आओ, इस रंडी को एग्जाम दिलवाना जरूरी है, इसकी सास को पता चल गया कि एग्जाम की जगह यह देवर का रस चूस रही थी तो तलाक दिलवा देगी इसे।
भाभी मुझे हटाते हुई बोली- यह कुतिया कह तो ठीक रही है विकास, तुम जल्दी से तैयार हो। मैं भी कपड़े पहन लेती हूँ।
मैं नहा कर दस मिनट में तैयार हो गया।
भाभी ने साड़ी ब्लाउज पहन रखा था और सोनम जीन्स और टी शर्ट पहने थी।
नाश्ता करके निकले, सोनम ने कार ड्राइव की, कार में सोनम को कोहनी मारते हुए भाभी ने कहा- अब घर जाकर ऑपरेशन चूत की कमांडर बन जाना।
हम लोग भाभी को सेंटर तक छोड़ सीधे वापस घर आ गए।
घड़ी गयारह बजा रही थी।
सोनम ने घर आकर मुझे चाय बना कर दी और चाय की चुस्कियाँ लेते हुए में उसकी टी शर्ट में कसे संतरे चोर नज़रों से घूरते हुए देखने लगा।
मुझे अपने स्तनों में झांकते हुए देख कर मुस्कराते हुए बोली- ऐसे क्या देख रहे हो? अच्छी तरह से देख लो।
मैं कुछ बोलता, इससे पहले ही सोनम ने अपनी टी शर्ट उतार दी, उसके दोनों कसे हुए छोटे छोटे संतरे बाहर आ गए। मेरी आँखें तो अटक कर रह गईं।
सोनम होंट काटते हुए चूचियाँ हाथों से दबाकर बोली- भाभी से छोटे हैं लेकिन रसीले ज्यादा हैं चूस के देख लो।
सोनम के कसे चूचे देखकर मुझसे रहा नहीं गया, मैं आगे बढ़कर अपने होंटों में उसकी निप्पल भरकर चूचे दोनों हाथों से दबाने लगा।
सोनम मुझे चिपकाते हुए बोली- काली हूँ लेकिन माल मेरा इस रंडी सविता से दस गुना अच्छा है, एक बार चख लिया तो भाभी को भूल जाओगे। संतरे मुँह में लो न।
पूरी चूची मैंने मुँह में भर ली और उसे दांतों से काटते हुए चूसने लगा।
गर्म होने के बाद सोनम बोली- अन्दर चलो ना, मेरी चूत भी भाभी की तरह चोदो ना… बड़ा मन कर रहा है।
थोड़ी देर में हम लोग बिस्तर पर आ गए और हमारे कपड़े उतर गए थे।
मेरा 7 इंची लौड़ा पूरा तन गया था। मेरा लौड़ा अपने हाथों में भरते हुए सोनम ने उसके टोपे पर एक पप्पी ली और बोली- आह, कितना सुन्दर लौड़ा है, उह… इसे मेरी पूसी में डालो न।
उसके चूचे दबाते हुए मैंने उसे अपने नीचे लेटा लिया और उसे दबाते हुए उसके चूत के मुख पर लौड़ा रख दिया।
भाभी ने मुझे चोदना सिखा दिया था, थोड़े प्रयास से ही लौड़ा का मुँह चूत में घुस गया, सोनम की चूत बहुत ज्यादा कसी हुई थी, मुझे लौड़ा पेलने में दम लगाना पड़ रहा था।
सोनम को दर्द हो रहा था, वो चिल्ला रही थी- उह आई ऊओह… धीरे से… आह फट गई!
उसकी आँखों से आँसू भी टपक गए थे।
आखिर लौड़ा अन्दर घुस गया और मैंने उसको उसको चोदना शुरू कर दिया।
भाभी की खुली चूत से सोनम की टाइट चूत चोदने का एक अलग ही मज़ा था।
3-4 धक्कों के बाद सोनम चुदाई के मज़े लेने लगी, मुझसे चिपकाते हुए आहें भर रही थी।
वो गरर्म आहें भरते हुए चिल्ला रही थी- आह… बड़ा मज़ा आ रहा है… और पेलो… फाड़ दो… बड़ा अच्छा लग रहा है।
चुदाई का मज़ा बढ़ता जा रहा था, चरम सीमा पर पहुँच कर हम साथ साथ झड़े।
इसके बाद सोनम ने मेरे गालों पर पप्पियों की बारिश कर दी और मुझसे चिपक गई, मैं भी उससे चिपक गया।
मुझे सोनम को चोद कर आनन्द की अनुभूति हुई। मुझे उसके भाव से लगा वो एक खेली खाई लड़की नहीं है।
जब हम लोग हटे तब उसकी आँखों में हल्के से प्रेम भाव के आँसू थे।
वो मेरी गोद लेट गई, उसने मेरे हाथ अपनी चूचियों पर रख लिए और मेरी आँखों में आँखें डालते हुए बोली- थोड़ी देर ऐसे ही बैठो न। दोपहर के दो बज़ चुके थे।
थोड़ी देर बाद मैं सोनम से बोला- मन नहीं भरा… तुम सही कह रही थीं तुम्हारा माल तो भाभी से 20 ही है। मेरा तो और मन कर रहा है।
उसने प्यार से मुझे एक पप्पी देकर कहा- अब खाने के बाद दूसरा राउंड खेलेंगे, भूखे पेट तो भजन भी नहीं होते हैं।
उसने अपनी अलमारी दिखाते हुए मेरी पसंद की पारदर्शी मैक्सी पहनी और बाहर निकल कर खाना बनाने लगी।
उसने मेरी पसंद की मैक्सी पहन रखी थी पीछे से उसके चूतड़ और जांघें पूरी चमक रही थीं, गाण्ड का द्वार पूरा दिख रहा था, आगे से स्तन पूरे नंगे दिख रहे थे।
ये सब देखकर मेरा मन चोदने को कर रहा था।
मैं पास खड़ा होकर सोनम के चूतड़ सहलाने लगा और उससे बातें करने लगा।
बातें करते हुए मुझे पता चला कि सोनम की शादी एक साल पहले हुई थी और उसका पति राकेश से केस चल रहा है, दोनों का तलाक होने वाला है। वो अपने पति के साथ 15 दिन ही रही थी कि उसे पता चला कि उसके पति की दूसरी पत्नी और एक बच्चा गाँव में है, उनका बाल विवाह हुआ था, पत्नी अनपढ़ थी इसलिए उसने उसे छोड़ दिया था साथ ही साथ वो आवारा औरतों के शौकीन भी था। बहुत चोदू था, 9 इंची लम्बा लौड़ा था, पहली रात ही लड़की से औरत बना दिया और पांच सात दिन में ही कई आसनों में लेटा बैठा कर उसकी चूत और गाण्ड चोद चोद कर दुखा डाली थी।
सोनम बोली- मैं अपने पति के साथ सिर्फ 15 दिन रही थी। चुदने के बाद चूत की आग बढ़ जाती है, एक साल से दबा कर रखी हुई थी। सविता मेरी पक्की सहेली है, जब भी सविता से बात होती थी मैं उससे कहती थी कि मेरी चूत में बहूत चुल्ल उठ रही है और चुदने का बड़ा मन कर रहा है। सविता के साथ जब तुम्हारी मस्ती देखी तो मैंने सोच लिया तुम्हारे से चुदवा कर सेक्स का मज़ा लूंगी।
कल तुम्हारी और सविता की मस्ती रात भर की-होल से देखती रही। आज तुम्हें अकेला देखकर अपनी प्यास पर कण्ट्रोल नहीं रख पाई। सच मुझे चुदने में बड़ा मज़ा आया।
उसने मुझे पप्पी देकर कहा- तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो !
उसकी आँखों से आँसू आ रहे थे, वो बोली- मुझसे मिलने आते रहना, मैं और मम्मी अकेली रहती हैं।
थोड़ी देर में खाना तैयार हो गया, हम लोग खान खाकर फिर एक बार बिस्तर पर आ गए।
मैंने अपने कपड़े उतार दिए, अब में सिर्फ एक चड्डी में था।
सोनम मुझे एकटक देख रही थी, मैंने सोनम की मैक्सी की डोर खोल दी और उसे अपनी गोद में बैठा लिया, उसके दोनों चूचे अपने हाथों से दबाने लगा।
सोनम ने अपने होंट मेरे होंटों में डाल दिए, बहुत देर तक मैं उसके स्तन और जांघें मलते हुए होंट चूसता रहा।
मेरा लौड़ा उसकी गाण्ड की दरार पर झटके खा रहा था।
सोनम बिस्तर पर फिसल गई और चड्डी में हाथ डालकर लौड़ा पकड़ते हुए बोली- अब इस कुत्ते को मेरी चूत में डालो ना!
उसकी आँखों में काम ज्वाला भड़क रही थी।
मैंने अपना अंडरवियर उतार दिया और उसकी मैक्सी भी अलग कर दी, बिस्तर पर लेटा कर उसकी चूत के छेद में अपनी दो उँगलियाँ घुसा दी और चूत की मालिश करने लगा।
मेरा लौड़ा मसलते हुए वो आहें भरने लगी।
कुछ देर बाद मैंने उसे अपने से चिपका लिया और लौड़ा उसकी सुरंग में घुसा दिया, वो अपनी गाण्ड हिला हिला कर चुदने लगी।
बहुत आनन्दमय पल थे।
चुदाई का दौर कब ख़त्म हो गया, पता ही नहीं चला, उसके बाद हम एक दूसरे से चिपक गए।
बातें करते हुए सोनम ने कहा- सविता बता रही थी कि तुम ड्राइंग बहुत अच्छा करते हो, हर ख़ुशी के मौके पर तुम अपनी मम्मी पापा को गुलाब के फूल का ग्रीटिंग बना कर कर देते हो। मुझे गुलाब के फूल की ड्राइंग बना कर दिखाओ ना!
मैंने उसे गुलाब का फूल बना दिया, उसने मुझसे उस पर आई लव यू लिखवा लिया और पास में रख दिया।
20-25 मिनट बाद जब मेरा लौड़ा दोबारा सुलगने लगा तो सोनम मेरी निप्पल पर काटते हुए बोली- एक बार पीछे से मेरी चूत में डालो ना, पीछे से ठुकने में मुझे बड़ा मज़ा आता है ! राकेश ने मेरी चूत कई बार पीछे से ठोंकी है।
सोनम मेंढक बन कर लेट गई, उसकी चूत पीछे से साफ़ दिख रही थी।
मैंने उंगली घुसा के जगह का मुआयना किया और अपने लौड़े का सुपारा उसकी चूत के मुँह पर रख दिया।
मुझसे लौड़ा अन्दर नहीं घुस रहा था, सोनम ने पूरा साथ दिया, तब लौड़ा बड़ी मुश्किल से अन्दर घुसा।
लौड़ा पेलने के बाद मैंने झुककर उसकी दोनों गुल्लियाँ पकड़ लीं और कसी हुई चूत में दम लगा कर पेलने लगा।
सोनम बेपरवाह होकर जोर जोर से आह उह आ आ हाँ करके मज़ा लेने लगी।
उसकी आहें उह उह उह आह की आवाज़ पूरे घर में गूंजने लगीं।
हम दोनों निडर होकर चुदाई का पूरा मज़ा ले रहे थे।
सोनम को चोदने के बाद मैं निढाल होकर लेट गया। हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सिमट गए और सो गए।
सोकर जब हम लोग उठे तब 5 बज़ रहे थे भाभी को लाने का समय हो गया था। हम दोनों भाभी को लेने चले गए।
भाभी और मैंने शनिवार को चार बजे घर से निकलने का प्रोग्राम रखा, 4-5 घंटे में हम लखनऊ पहुँच जाते, बस से हम लोग जा रहे थे।
भाभी साड़ी ब्लाउज में थीं, मैंने टी शर्ट और जीन्स पहनी हुई थी।
शनिवार को हम बस से चले, दिसम्बर का महीना था, रात ठण्डी थी, बस 5 बजे चली 9 बजे तक हम लखनऊ पहुँच जाते।
बस में पीछे वाली दो लोगों की सीट पर हम जाकर बैठ गए।
बैठते ही भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और धीरे से सहलाने लगीं।
मैंने हाथ की कोहनी धीरे से ब्लाउज के ऊपर से उनकी चूचियों पर लगा दी और उनकी चूची कोहनी से धीरे धीरे दबाने लगा।
थोड़ी देर बाद उत्तेजना में भरकर मैंने अपना एक हाथ उनके ब्लाउज के ऊपर रखकर पूरा स्तन दबा दिया।
भाभी हाथ हटाकर फुसफुसाते हुए बोलीं- सात बजे जब पूरा अँधेरा हो जाए तब मज़े ले लेना, थोड़ा सब्र कर लो।
मैं संभल गया, भाभी और मैं बातें करने लगे।
पौने सात बजे करीब बस एक ढाबे पर रुकी, भाभी बाथरूम चली गईं, मैंने दो चाय का आर्डर कर दिया।
भाभी मुस्कराते हुए चाय पीने के बाद मुझसे बोलीं- खुले पैसे मेरे पर्स से दे दो।
मैंने जब पर्स में से पैसे निकाले तो देखा उसमें उनकी ब्रा और पैंटी रखी हुई थी।
मेरी आँखें उनके ब्लाउज की तरफ चली गई।
भाभी मुस्करा उठीं और उन्होंने अपना पल्ला ब्लाउज पर इस तरह से कर लिया की चूचियों से चिपका ब्लाउज पूरा दिखने लगा।
इतने पास से देखने पर साफ़ पता चल रहा था ब्लाउज के अन्दर ब्रा नहीं है। बिना ब्रा के उभार पतले ब्लाउज से साफ़ दिख रहे थे और काली निप्पल की चोंच भी चमक रही थी।
मुझे घूरता देख भाभी होंट काटते हुए धीरे से बोलीं- अभी उतारी है तुम्हारे लिए… हॉर्न कैसे लग रहे हैं?
मैंने कहा- बजाने का मन कर रहा है।
हँसते हुए भाभी बोलीं- बस चले, तब बजा लेना। मैं भी तुम्हारा हैंडल पकड़ कर गियर बदलती रहूँगी।
तभी बस का हॉर्न बजा, हम लोग बस में आ गए।
बस जब ढाबे से से चली तब तक सात बज़ चुके थे और अँधेरा हो गया था।
बस में पीछे की बड़ी सीट खाली थी और सवारी आगे बैठी हुईं थीं हम सबसे पीछे थे।
भाभी ने मुझे दिखाते हुए अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल लिए।
अपनी नंगी चूचियाँ दिखाते हुए बोलीं- चाय तो पी ली, अब दूध और पी लेना।
चूचियाँ ढकते हुए बोलीं- उह उह… ठण्ड लग रही है पहले बैग में से लोई (गरम चादर) उतार लो ना!
मैंने लोई बैग से निकाल लीं।
बस में मुझे ऐसा लगा कि अधिकतर लोग हमें पति पत्नी समझ रहे थे।
इस बीच बस वाले ने अन्दर की लाइट बंद कर दी थी, पूरी बस में अँधेरा हो गया था।
मेरा लौड़ा तन कर हथोड़ा हो रहा था।
लाइट बंद होते ही भाभी ने लोई ओढ़ ली और मुझे भी उढ़ा दी।
हम दोनों अब एक लोई में थे।
भाभी ने मेरा हाथ ब्लाउज के अन्दर घुसवा लिया और मेरे हाथ अपनी नंगी चूचियों पर रख दिए।
उनके दोनों नग्न स्तन मेरे हाथों में थे, मैं उन्हें कस कस कर दबाने लगा, स्तनों की निप्पल पकड़ कर मैंने नुकीली कर दी थीं और बारी बारी से दोनों गुल्लों का जूस निकाल रहा था।
भाभी गर्म हो गईं थीं। उन्होंने मेरी जींस की चैन खोल कर मेरा लौड़ा अपने हाथ में ले लिया और सहलाने लगीं।
मुझसे रहा नहीं गया, मैंने चिपक कर उनके गाल चूम लिए।
उन्होंने मुझे झटके से हटा दिया, वो थोड़ा घबरा गईं थीं, मेरे लौड़े से हाथ हटाते हुए धीरे से बोलीं- होश में रहो!
मैंने भी अपना हाथ खींच लिया।
हमारे पीछे कोई नहीं बैठा था, बस में घुप्प अँधेरा था, थोड़ी देर हम शांत रहे।
इसके बाद भाभी ने हाथ दुबारा खींच लिया और अपने पेट पर रख लिया, मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मेरा लौड़ा उफान खा रहा था।
मैं उनका नंगा पेट और नाभि सहलाने लगा बार बार उनकी नाभि में उंगली घुसा देता था।
भाभी भी गर्म हो रही थीं, उन्होंने दुबारा जींस में से मेरा लौड़ा बाहर निकाल लिया था और अँधेरे में उसके टोपे पर उँगलियाँ फिराने लगीं।
मैं अपना हाथ उनकी साड़ी की गाँठ के अन्दर घुसाने लगा।
भाभी ने मेरा हाथ हटा कर अपनी साड़ी की गाँठ थोड़ी ढीली कर दी और मेरा हाथ नाभि पर रख दिया।
नाभि के रास्ते से आराम से हाथ उनकी साड़ी के अन्दर घुस गया।
चिकना पेडू सहलाते हुए हाथ बार चूत प्रदेश में फिसल रहा था।
चूत पूरी चिकनी थी, मैं चूत में उंगली डालने की कोशिश कर रहा था पर सफल नहीं हो पा रहा था, बार बार चूत का मुँह सहला कर रह जा रहा था।
भाभी मेरा हाथ हटाते हुए बोलीं- दो मिनट रुको।
उन्होंने झुककर अपनी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठा लिया और लोई से मुझे और खुद को ठीक से ढक लिया।
मेरा हाथ अपनी गर्म जाँघों पर रख दिया।
नंगी जांघे सहलाते ही मेरे लौड़े ने थोड़ा सा वीर्य छोड़ दिया।
उन्होंने दोनों जांघें एक दूसरे से चिपका रखी थीं, मुझे इस खेल में बड़ा आनन्द आ रहा था।
मैंने दबाब बनाते हुए अपना हाथ दोनों जाँघों के बीच घुसा दिया।
भाभी ने थोड़ी सी अपनी टांगें चौड़ी कर ली, अब मेरा हाथ सरकते हुए उनकी चूत के द्वार पर पहुँच गया, उन्होंने एक हाथ से जोरों से मेरा लौड़ा सहलाते हुए दूसरे हाथ से मेरी उंगली चूत के दाने पर रख दी और कान में बोलीं- पहले थोड़ा इसे सहलाओ, बड़ा मन कर रहा है।
मैं उनकी चूत के दाने को सहलाने लगा, बीच बीच में उंगली उनकी चूत के अन्दर भी घुसा देता था, पूरी चूत रसीली हो रही थी।
मस्ती चरम सीमा पर थी, इसी बीच कोई स्टॉप था, लाइट खुल गई हम लोग हट गए।
इस स्टॉप पर काफी लोग उतर गए थे।
इसके बाद हमारे आगे वाली दो तरफ की सीटों पर बैठे लोग आगे सीटों पर चले गए।
अब हमारे चारों तरफ खाली था, लखनऊ आने में अभी एक घंटा था, लाइट दुबारा बंद हो गई।
हम लोग बगल में खाली पड़ी तीन लोगों की सीट पर आ गए।
भाभी ने मुझसे कहा- मेरी गोद में लेट लो, कोई नहीं देख रहा है।
मैं सीट पर पैर फेलाते हुए भाभी की गोद में लेट गया, लोई से उन्होंने मुझे ढक लिया और मेरा मुँह नीचे सरकते अपने स्तनों में लगा दिया।
मैं अब उनके दूध चूसने लगा और वो मेरा लौड़ा सहलाने लगीं।
एक चूची चूसते हुए दूसरी दबाते हुए सेक्स के आनन्द में मज़ा आ गया।
कुछ देर बाद उन्होंने मुझे उठा दिया और बोलीं थोड़ी देर मुझे भी अपनी गोद में लेटा लो न।
अब हमने जगह बदल ली, भाभी मेरी गोद में लेट गईं और उन्होंने मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया।
मैं अपनी सिसकारियों पर रोक लगाए हुए था, यह चरम सीमा थी।
मैंने 3-4 बार उनकी चूचियाँ कस कर मसल दीं थी, इस बीच मेरा वीर्य उनके मुँह में छुट गया, भाभी ने पूरा वीर्य मुँह में लिया उसके 5 मिनट बाद हम दोनों अलग हो गए।
हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक करे।
दस मिनट बाद हमारा हमारा स्टॉप आ गया था।
स्टॉप पर उतर कर भाभी साड़ी का पल्लू हटाकर मुझसे बोलीं- देखो, ब्लाउज के सारे बटन टूट गए, सिर्फ एक बचा है।
मैंने देखा कि उनके ब्लाउज का सिर्फ नीचे का एक बटन बचा था, जिसे उन्होंने लगा लिया, स्तन ब्लाउज में कहने मात्र को बंद हो गए थे, उनकी नंगी गोलाइयाँ और काली निप्पल ब्लाउज से बाहर झांक रहा थी और स्तनों की सुन्दरता में चार चाँद लगा रही थी।
भाभी ने ब्लाउज को पल्लू से ढकते हुए कहा- अब ऑटो में चूचियों पर रहम कर देना।
भाभी और मैंने ऑटो कर लिया, ऑटो में भाभी ने मेरे मुँह पर पप्पियों की बारिश कर दी और बोलीं- रास्ते में बड़ा मज़ा आया।
पूरे रास्ते हम पति पत्नी की तरह बैठे और एक दूसरे को बाहों में भरकर स्टॉप आने तक लब-चुम्बन करते रहे।
दस बजे हम सोनम के घर थे, वो घर में अकेली थी।
सोनम 22-23 साल की एक कमसिन बदन की मालकिन थी, थोड़ी सांवली थी लेकिन उसके चेहरे से जवानी का रस टपक रहा था।
भाभी को देखकर वो उनसे चिपक गई और बोली- तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लग रहा है।
अन्दर घुसते ही भाभी ने सोनम की तरफ देखते हुए कहा- विकास, यह मेरी पक्की सहेली है, हम साथ साथ पढ़े हैं। इसे मैं सोनम कम कुतिया ज्यादा बोलती हूँ, यह भी मुझे प्यार में रंडी बुलाती है।
सोनम से भाभी बोलीं- यह मेरा देवर विकास है, इससे शर्माने की कोई जरूरत नहीं, पूरे रास्ते हम मज़े करते आ रहे हैं।
सोनम भाभी का पल्लू हटा कर ब्लाउज का एक मात्र बटन खोल कर उनकी चूचियों पर हाथ फिराते हुए बोली- हाँ हाँ… दिख रहा है, पूरे रास्ते तू अपने गुब्बारों में देवर जी से हवा भरवाते हुए आ रही है, तभी तो एक बटन बचा है।
भाभी हँसते हुए अपनी साड़ी उतारने लगीं और सोनम से बोलीं- तू तो एक कुतिया की तरह ही सोच सकती है।
भाभी ने ब्लाउज भी उतार दिया और सोनम से बोलीं- जा जल्दी से अपनी एक मैक्सी दे दे।
यह सब देखकर मेरा लौड़ा फिर खुलने लगा था।
सोनम कमरे से बाहर चली गई। पेटीकोट में भाभी मेरे सामने टॉपलेस खड़ी थीं, अंगड़ाई लेते हुए उन्होंने अपने स्तन हिलाए और बोली- आज रात पूरी अपनी है जमकर मज़े करेंगे।
मुझको एक गोली का पत्ता देकर बोलीं- सुबह शाम एक एक खा लेना, चोदने में मज़ा आ जाएगा, पूरे दिन 5-6 बार चूत मारने के बाद भी कमजोरी नहीं लगेगी।
यह कहकर भाभी बाहर चली गईं..
थोड़ी देर बाद भाभी और सोनम आ गए, दोनों ने सेक्सी लो कट मैक्सी पहन रखी थी।
खाने के बाद हम लोग साथ बैठकर डबल बेड की रजाई में मूंगफली खाने लगे।
भाभी और सोनम सामने बैठी थीं हम लोग बातें करने लगे भाभी मेरे पैर अपने पैर से रजाई के नीचे से सहलाने लगीं।
उधर सोनम जब भी झुकती उसकी लो कट ढीली मैक्सी से उसकी पूरी चूचियाँ दिखने लगतीं थीं।
मैंने भाभी की मैक्सी के अन्दर से पैर उनकी जाँघों में घुसा दिए थे और पैरों से उनकी जांघें गरम कर रहा था।
बारह बजे के पास भाभी सोनम से बोली- अब सोते हैं, तू अपने कमरे में सो जा, मैं तो इसके साथ ही सो जाऊँगी।
सोनम भी खुल गई थी, मुस्कराते हुए बोली- हाँ हाँ रंडी, सो जा, तुझे अपनी भट्टी की आग जो बुझानी है, तेरा ऑपरेशन चूत जो चल रहा है। लेकिन इस बेचारे के घोड़े की जान मत ले लेना।
भाभी हँसते हुए बोली- तू तो एक कुतिया की तरह ही सोच सकती है… यह तो मेरा देवर है देवर तो बच्चे के सामान होता है।
थोड़ा दूध पिला कर सुला दूँगी। वैसे भी मेरी भट्टी पर तो तेरे भाई का राज है, अब तू तंग मत कर और जाकर सो और हमें भी सोने दे।
सोनम वहाँ से चली गई।
भाभी ने सोनम के जाने के बाद पर्स से निकाल कर एक गोली खा ली और बोलीं- गर्भ निरोधक है, मुझे तो नंगे लौड़ा से ही चुदने में मज़ा आता है।
उन्होंने अपनी मैक्सी उतार दी और मुझे भी पूरा नंगा कर दिया।
मेरे लौड़े को सहलाते हुए बोलीं- आज किसी का डर नहीं, आज तो डलवाने में मज़ा आ जाएगा, लाइट खुली रहने देना, रोशनी में चुदने का तो एक अलग ही मज़ा है, पूरी अपनी औरत समझ कर चोदना यहाँ किसी का डर नहीं, यह सोनम तो अपनी यार है कुतिया को मैंने पहले ही बता रखा है कि अपने देवर से चुदने आ रही हूँ, न कि एग्जाम देने… तभी हरामण, ऑपरेशन चूत चूत कर रही थी।
उन्होंने झुककर मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया और चुसना शुरू कर दिया।
रास्ते भर मैं बुरी तरह से उतेजित था, मैंने भाभी के मोटे मोटे नितंब दबाने, सहलाने और पीटने शुरू कर दिए, बीच बीच मैं उनकी गाण्ड में भी उंगली घुस देता था।
थोड़ी देर बाद भाभी लेट गईं और टांगें चौड़ी करके बोलीं- आह आह… अब पेल दो, रहा नहीं जा रहा है।
उनकी चूत मेरी आँखों के सामने थी, मैं उनके ऊपर चढ़ गया, अपने हाथ से चूत पर मेरा लौड़ा लगाते हुए बोली- आज बस में तुमने बहूत तड़पाया है। अब इस कमीनी फ़ुद्दी को फाड़ दो।
मैंने भाभी की चूत में लौड़ा घुसेड़ दिया और उसे अन्दर पेलने लगा।
उनकी दोनों चूचियाँ मेरी मुट्ठी में थीं, एक दूसरे से दूधों को मिलाते हुए मैंने चूत की चुदाई शुरू कर दी थी।
भाभी ने मेरी पीठ पर अपनी टांगें मोड़ लीं थी और लौड़ा को अपनी गाण्ड हिलाते हुए पूरा अन्दर तक घुसवा लिया, मेरे टट्टे भी उनकी चूत पर तबला बजाने लगे थे, लौड़ा भाभी की चूत फाड़ रहा था।
हम दोनों के बदन रगड़ खा रहे थे, भाभी आह उह उह की आवाजें बिंदास भर रही थी और अपके चूतड़ हिला कर लौड़ा अन्दर बाहर करते हुए निडर होकर चुदने का मज़ा ले रही थीं।
बार बार उतेजना से वो चिल्ला रही थीं- चोदो विकास चोदो… इस कमीनी चूत को चोदो… बड़ा मज़ा आ रहा है… आह पेलो न… उह आह उह उई उई उई… और अन्दर… और अन्दर… वाह क्या पेला है, वाह वाह…
भाभी की आहों ने मुझे पूरा उत्तेजित कर दिया था, मैं पूरी ताकत से धक्के मार रहा था, दोनों तरफ से पूरा सहयोग हो रहा था।
थोड़ी देर में मेरा गर्म लावा उनके गर्भ प्रदेश में घुस गया, उन्होंने भी ढेर सारा चूत रस छोड़ दिया था।
हम दोनों कस कर दुबारा एक दूसरे से चिपक गए। यह सेक्स का क्लाइमेक्स था। उसके बाद एक दूसरे से चिपक कर हम सो गए।
सुबह एक बार भाभी ने फिर मुझे अपनी बाहों में भर लिया और हम एक बार फिर एक दूसरे से चूमा चाटी करने लगे।
तभी बाहर से दरवाज़ा खटका सोनम की आवाज़ आई- रण्डी, अब उठ जा, एग्जाम दे आ, मैं चाय बनाने जा रही हूँ।
भाभी नंगी उठीं और दरवाज़ा की सांकल खोलकर फिर रजाई में लेट गई और बोलीं- चाय पीकर कपड़े पहनेंगे।
मेरा तना हुआ लौड़ा सहलाते हुए बोलीं- आह, चुदने का बड़ा मन कर रहा है लेकिन सात बज़ रहे हैं अब तो उठाना पड़ेगा। तुम दिन में यहीं रहना और एक बार इस सोनम कुतिया पर ट्राई मार लेना, साली रात मैं कह रही थी देवर तो बड़ा चिकना है, पति से तो इसका झगड़ा एक साल से चल रहा है, चूत भी कुतिया की उबल रही होगी।
भाभी के निप्पल उमेठते हुए मैंने कहा- लेकिन सोनम तो देखने में आपसे कम सुंदर और काली है, उसकी चूचियाँ भी छोटी छोटी हैं, आप जितना मज़ा कहाँ आएगा?
लौड़े का टोपा रगड़ते हुए भाभी बोलीं- चूत का मज़ा गोरे काले, दुबले पतले, से नहीं चोदने से आता है और चोदू लोग मिलती हुई चूत को छोड़ते नहीं है। मौका मिले तो चूकना नहीं, चूत चोद कर ही छोड़ना दबा दबु के छोड़ दिया तो तुम्हें चूतिया मानेगी। थोड़े खिलाड़ी तो अब तुम हो ही गए हो।
मैं रजाई के अन्दर घुस कर उनकी एक चूची मुँह में लेकर चूस रहा था और दूसरी दबा रहा था, भाभी बोलती जा रही थीं।
तभी सोनम चाय लेकर आ रही थी, भाभी ने रजाई नीचे खिसका दी और बोलीं- इसी तरह चूसते रहो, कुतिया की बुर में खुजली हो रही होगी रात का सोच सोच के ये सब देखकर और गर्म होगी।
तभी सोनम कमरे में आ गई, भाभी सोनम से बोलीं- रात को थके थे, जल्दी नींद आ गई, बेचारे को दुद्दू भी नहीं पिला पाई, इतनी दूर साथ आया है, इतना तो बनता ही है।
उसके बाद सोनम के कान में भाभी ने कुछ फुसफुसाया।
सोनम हँसते हुए बोली- रंडी अब उठ जा, एग्जाम दे आ।
इसके बाद हम अलग हो गए, सबने साथ साथ चाय पी, उसके बाद भाभी उठीं और बाथरूम में फ्रेश होने चली गईं।
सोनम मेरी तरफ देखते हुए बोली- रात को तो मज़ा आ गया होगा… चलो तुम भी तैयार हो जाओ, हम दोनों भाभी को छोड़ आते हैं।
मैं कपड़े नहीं पहने था, सिर्फ चादर ओढ़े था, बोला- दीदी थोड़ी देर को बाहर जाओ ना!
सोनम बोली- दीदी की माँ की चूत, मुझे सोनम बुलाओ, कुतिया और रंडी भी चलेगा लेकिन दीदी दोबारा बोला तो गाण्ड में बांस घुसा कर यहाँ से भगा दूँगी। अच्छा यह बताओ कल भाभी से क्या मज़े कर लिए? हॉर्न तो मेरे सामने बजा ही रहे थे।
मैंने झेंपते हुए झूठ बोला- हम तो थके हुए थे, लेटते ही नींद आ गई थी, वो तो सुबह सुबह भाभी ने चिपका लिया था।
सोनम बोली- ओह तुम तो मुझे अच्छे शरीफ लड़के लगते हो। यह सविता कुतिया बहुत झूठ बोलती है, कान में कह रही थी कि रात भर विकास ने सोने नहीं दिया, ऊपर पहाड़ मसल डाले और नीचे सुरंग खोद डाली, दोनों जगह खूब बजाया। पहले इस रंडी को छोड़ कर आते हैं फिर लौट कर बातें करते हैं।
उसने साइड में पड़ा मेरा नेकर उछाल के फेंका और बोली- ये लो, पहनो मैं अभी आती हूँ।
मैं नेकर पहन कर फ्रेश होने लगा।
तभी भाभी नहा कर मैक्सी में बाहर आ गईं और सोनम तौलिया लेकर अन्दर बाथरूम में चली गई।
भाभी ने इशारे से मुझसे कहा- बाथरूम में झांककर देखो।
जब मैंने अन्दर झाँका तो दंग रह गया सोनम टॉयलेट की सीट पर टांगें चौड़ी करके नंगी बैठी हुई थी और अपनी चूत पर मोमबत्ती फिरा रही थी।
उसके कमसिन बदन पर झूलते हुए चूचों ने मेरे लौड़ा में आग लगा दी।
भाभी ने पीछे से चिपककर मेरे नेकर में हाथ डालकर लौड़ा पकड़ लिया और सुबह के कुमुनाते लौड़ा को सहलाते हुए कान में बोलीं- इसकी चूत खुजला रही है, आज मौका अच्छा है बजा देना डरना नहीं।
थोड़ी देर भाभी पीछे से मुझे पकड़ कर मेरा लौड़ा सहलाती रहीं और मैं सोनम का नग्न स्नान देखता रहा।
स्नान देखने के बाद मैं मुड़कर भाभी के होंटों को चूसने लगा इस बीच सोनम बाहर आ गई।
भाभी मेरे होंट चूस रही थीं, सोनम तौलिया लपेट कर बाहर आई और अंगड़ाई लेते हुए बोली- विकास जी, नहा आओ, इस रंडी को एग्जाम दिलवाना जरूरी है, इसकी सास को पता चल गया कि एग्जाम की जगह यह देवर का रस चूस रही थी तो तलाक दिलवा देगी इसे।
भाभी मुझे हटाते हुई बोली- यह कुतिया कह तो ठीक रही है विकास, तुम जल्दी से तैयार हो। मैं भी कपड़े पहन लेती हूँ।
मैं नहा कर दस मिनट में तैयार हो गया।
भाभी ने साड़ी ब्लाउज पहन रखा था और सोनम जीन्स और टी शर्ट पहने थी।
नाश्ता करके निकले, सोनम ने कार ड्राइव की, कार में सोनम को कोहनी मारते हुए भाभी ने कहा- अब घर जाकर ऑपरेशन चूत की कमांडर बन जाना।
हम लोग भाभी को सेंटर तक छोड़ सीधे वापस घर आ गए।
घड़ी गयारह बजा रही थी।
सोनम ने घर आकर मुझे चाय बना कर दी और चाय की चुस्कियाँ लेते हुए में उसकी टी शर्ट में कसे संतरे चोर नज़रों से घूरते हुए देखने लगा।
मुझे अपने स्तनों में झांकते हुए देख कर मुस्कराते हुए बोली- ऐसे क्या देख रहे हो? अच्छी तरह से देख लो।
मैं कुछ बोलता, इससे पहले ही सोनम ने अपनी टी शर्ट उतार दी, उसके दोनों कसे हुए छोटे छोटे संतरे बाहर आ गए। मेरी आँखें तो अटक कर रह गईं।
सोनम होंट काटते हुए चूचियाँ हाथों से दबाकर बोली- भाभी से छोटे हैं लेकिन रसीले ज्यादा हैं चूस के देख लो।
सोनम के कसे चूचे देखकर मुझसे रहा नहीं गया, मैं आगे बढ़कर अपने होंटों में उसकी निप्पल भरकर चूचे दोनों हाथों से दबाने लगा।
सोनम मुझे चिपकाते हुए बोली- काली हूँ लेकिन माल मेरा इस रंडी सविता से दस गुना अच्छा है, एक बार चख लिया तो भाभी को भूल जाओगे। संतरे मुँह में लो न।
पूरी चूची मैंने मुँह में भर ली और उसे दांतों से काटते हुए चूसने लगा।
गर्म होने के बाद सोनम बोली- अन्दर चलो ना, मेरी चूत भी भाभी की तरह चोदो ना… बड़ा मन कर रहा है।
थोड़ी देर में हम लोग बिस्तर पर आ गए और हमारे कपड़े उतर गए थे।
मेरा 7 इंची लौड़ा पूरा तन गया था। मेरा लौड़ा अपने हाथों में भरते हुए सोनम ने उसके टोपे पर एक पप्पी ली और बोली- आह, कितना सुन्दर लौड़ा है, उह… इसे मेरी पूसी में डालो न।
उसके चूचे दबाते हुए मैंने उसे अपने नीचे लेटा लिया और उसे दबाते हुए उसके चूत के मुख पर लौड़ा रख दिया।
भाभी ने मुझे चोदना सिखा दिया था, थोड़े प्रयास से ही लौड़ा का मुँह चूत में घुस गया, सोनम की चूत बहुत ज्यादा कसी हुई थी, मुझे लौड़ा पेलने में दम लगाना पड़ रहा था।
सोनम को दर्द हो रहा था, वो चिल्ला रही थी- उह आई ऊओह… धीरे से… आह फट गई!
उसकी आँखों से आँसू भी टपक गए थे।
आखिर लौड़ा अन्दर घुस गया और मैंने उसको उसको चोदना शुरू कर दिया।
भाभी की खुली चूत से सोनम की टाइट चूत चोदने का एक अलग ही मज़ा था।
3-4 धक्कों के बाद सोनम चुदाई के मज़े लेने लगी, मुझसे चिपकाते हुए आहें भर रही थी।
वो गरर्म आहें भरते हुए चिल्ला रही थी- आह… बड़ा मज़ा आ रहा है… और पेलो… फाड़ दो… बड़ा अच्छा लग रहा है।
चुदाई का मज़ा बढ़ता जा रहा था, चरम सीमा पर पहुँच कर हम साथ साथ झड़े।
इसके बाद सोनम ने मेरे गालों पर पप्पियों की बारिश कर दी और मुझसे चिपक गई, मैं भी उससे चिपक गया।
मुझे सोनम को चोद कर आनन्द की अनुभूति हुई। मुझे उसके भाव से लगा वो एक खेली खाई लड़की नहीं है।
जब हम लोग हटे तब उसकी आँखों में हल्के से प्रेम भाव के आँसू थे।
वो मेरी गोद लेट गई, उसने मेरे हाथ अपनी चूचियों पर रख लिए और मेरी आँखों में आँखें डालते हुए बोली- थोड़ी देर ऐसे ही बैठो न। दोपहर के दो बज़ चुके थे।
थोड़ी देर बाद मैं सोनम से बोला- मन नहीं भरा… तुम सही कह रही थीं तुम्हारा माल तो भाभी से 20 ही है। मेरा तो और मन कर रहा है।
उसने प्यार से मुझे एक पप्पी देकर कहा- अब खाने के बाद दूसरा राउंड खेलेंगे, भूखे पेट तो भजन भी नहीं होते हैं।
उसने अपनी अलमारी दिखाते हुए मेरी पसंद की पारदर्शी मैक्सी पहनी और बाहर निकल कर खाना बनाने लगी।
उसने मेरी पसंद की मैक्सी पहन रखी थी पीछे से उसके चूतड़ और जांघें पूरी चमक रही थीं, गाण्ड का द्वार पूरा दिख रहा था, आगे से स्तन पूरे नंगे दिख रहे थे।
ये सब देखकर मेरा मन चोदने को कर रहा था।
मैं पास खड़ा होकर सोनम के चूतड़ सहलाने लगा और उससे बातें करने लगा।
बातें करते हुए मुझे पता चला कि सोनम की शादी एक साल पहले हुई थी और उसका पति राकेश से केस चल रहा है, दोनों का तलाक होने वाला है। वो अपने पति के साथ 15 दिन ही रही थी कि उसे पता चला कि उसके पति की दूसरी पत्नी और एक बच्चा गाँव में है, उनका बाल विवाह हुआ था, पत्नी अनपढ़ थी इसलिए उसने उसे छोड़ दिया था साथ ही साथ वो आवारा औरतों के शौकीन भी था। बहुत चोदू था, 9 इंची लम्बा लौड़ा था, पहली रात ही लड़की से औरत बना दिया और पांच सात दिन में ही कई आसनों में लेटा बैठा कर उसकी चूत और गाण्ड चोद चोद कर दुखा डाली थी।
सोनम बोली- मैं अपने पति के साथ सिर्फ 15 दिन रही थी। चुदने के बाद चूत की आग बढ़ जाती है, एक साल से दबा कर रखी हुई थी। सविता मेरी पक्की सहेली है, जब भी सविता से बात होती थी मैं उससे कहती थी कि मेरी चूत में बहूत चुल्ल उठ रही है और चुदने का बड़ा मन कर रहा है। सविता के साथ जब तुम्हारी मस्ती देखी तो मैंने सोच लिया तुम्हारे से चुदवा कर सेक्स का मज़ा लूंगी।
कल तुम्हारी और सविता की मस्ती रात भर की-होल से देखती रही। आज तुम्हें अकेला देखकर अपनी प्यास पर कण्ट्रोल नहीं रख पाई। सच मुझे चुदने में बड़ा मज़ा आया।
उसने मुझे पप्पी देकर कहा- तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो !
उसकी आँखों से आँसू आ रहे थे, वो बोली- मुझसे मिलने आते रहना, मैं और मम्मी अकेली रहती हैं।
थोड़ी देर में खाना तैयार हो गया, हम लोग खान खाकर फिर एक बार बिस्तर पर आ गए।
मैंने अपने कपड़े उतार दिए, अब में सिर्फ एक चड्डी में था।
सोनम मुझे एकटक देख रही थी, मैंने सोनम की मैक्सी की डोर खोल दी और उसे अपनी गोद में बैठा लिया, उसके दोनों चूचे अपने हाथों से दबाने लगा।
सोनम ने अपने होंट मेरे होंटों में डाल दिए, बहुत देर तक मैं उसके स्तन और जांघें मलते हुए होंट चूसता रहा।
मेरा लौड़ा उसकी गाण्ड की दरार पर झटके खा रहा था।
सोनम बिस्तर पर फिसल गई और चड्डी में हाथ डालकर लौड़ा पकड़ते हुए बोली- अब इस कुत्ते को मेरी चूत में डालो ना!
उसकी आँखों में काम ज्वाला भड़क रही थी।
मैंने अपना अंडरवियर उतार दिया और उसकी मैक्सी भी अलग कर दी, बिस्तर पर लेटा कर उसकी चूत के छेद में अपनी दो उँगलियाँ घुसा दी और चूत की मालिश करने लगा।
मेरा लौड़ा मसलते हुए वो आहें भरने लगी।
कुछ देर बाद मैंने उसे अपने से चिपका लिया और लौड़ा उसकी सुरंग में घुसा दिया, वो अपनी गाण्ड हिला हिला कर चुदने लगी।
बहुत आनन्दमय पल थे।
चुदाई का दौर कब ख़त्म हो गया, पता ही नहीं चला, उसके बाद हम एक दूसरे से चिपक गए।
बातें करते हुए सोनम ने कहा- सविता बता रही थी कि तुम ड्राइंग बहुत अच्छा करते हो, हर ख़ुशी के मौके पर तुम अपनी मम्मी पापा को गुलाब के फूल का ग्रीटिंग बना कर कर देते हो। मुझे गुलाब के फूल की ड्राइंग बना कर दिखाओ ना!
मैंने उसे गुलाब का फूल बना दिया, उसने मुझसे उस पर आई लव यू लिखवा लिया और पास में रख दिया।
20-25 मिनट बाद जब मेरा लौड़ा दोबारा सुलगने लगा तो सोनम मेरी निप्पल पर काटते हुए बोली- एक बार पीछे से मेरी चूत में डालो ना, पीछे से ठुकने में मुझे बड़ा मज़ा आता है ! राकेश ने मेरी चूत कई बार पीछे से ठोंकी है।
सोनम मेंढक बन कर लेट गई, उसकी चूत पीछे से साफ़ दिख रही थी।
मैंने उंगली घुसा के जगह का मुआयना किया और अपने लौड़े का सुपारा उसकी चूत के मुँह पर रख दिया।
मुझसे लौड़ा अन्दर नहीं घुस रहा था, सोनम ने पूरा साथ दिया, तब लौड़ा बड़ी मुश्किल से अन्दर घुसा।
लौड़ा पेलने के बाद मैंने झुककर उसकी दोनों गुल्लियाँ पकड़ लीं और कसी हुई चूत में दम लगा कर पेलने लगा।
सोनम बेपरवाह होकर जोर जोर से आह उह आ आ हाँ करके मज़ा लेने लगी।
उसकी आहें उह उह उह आह की आवाज़ पूरे घर में गूंजने लगीं।
हम दोनों निडर होकर चुदाई का पूरा मज़ा ले रहे थे।
सोनम को चोदने के बाद मैं निढाल होकर लेट गया। हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सिमट गए और सो गए।
सोकर जब हम लोग उठे तब 5 बज़ रहे थे भाभी को लाने का समय हो गया था। हम दोनों भाभी को लेने चले गए।